
ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह अली ख़ामेनेई ने आखिरकार चुप्पी तोड़ी — और वो भी ऐसी कि तेहरान की गलियों से लेकर ट्विटर तक गूंज सुनाई दी। अमेरिका द्वारा युद्धविराम की घोषणा के बाद यह उनका पहला सार्वजनिक संदेश है, जिसमें उन्होंने दावा किया कि ईरान ने इस पूरे संघर्ष में “विजय” पाई है और अमेरिका को “तमाचा” मारा है।
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“झूठे यहूदी शासन” पर विजय का ऐलान
ख़ामेनेई ने X पर लिखा, मैं झूठे यहूदी शासन पर विजय के लिए ईरानी जनता को बधाई देता हूं।
यह राजनयिक डिक्शनरी से नहीं, बल्कि आत्मविश्वास और जमीनी समर्थन से निकली लाइन थी, जिसे सुनकर तेहरान में तालियाँ बजीं।
अमेरिका को भी मिल गया “डिप्लोमैटिक थप्पड़”
उन्होंने अमेरिका पर तीखा हमला बोलते हुए कहा, अमेरिका इसलिए मैदान में उतरा क्योंकि उसे डर था कि इसराइल पूरी तरह से मिट जाएगा। लेकिन उन्हें कुछ हासिल नहीं हुआ।
यानी कहानी सीधी है — अमेरिका आया, देखा, कुछ न कर सका — और गया तमाचा खाकर।
9 करोड़ ईरानियों की ‘एकता की गूंज’
ख़ामेनेई ने अपनी स्पीच में बार-बार ईरानी एकता की तारीफ की, जब ज़रूरत पड़ी, पूरा राष्ट्र एक साथ खड़ा रहा।
इस बयान के ज़रिए उन्होंने घरेलू जनता को ये संदेश दिया कि भले ही वेस्टर्न मीडिया कुछ भी कहे, “हम साथ हैं, और जीत हमारी है।”
एक हफ्ते बाद दिखे ख़ामेनेई, लेकिन बोले तो भड़ास निकाल दी पूरी
18 जून के बाद से आयतुल्लाह कैमरे से दूर थे, जिससे अटकलें लग रही थीं। लेकिन जैसे ही उन्होंने माइक पकड़ा, ग़ज़ब की स्क्रिप्ट सुनाई — और उसमें संयम से ज़्यादा सन्देश था, और तंज से ज़्यादा ताकत।
युद्धविराम हुआ, लेकिन बयानबाज़ी की लड़ाई अब भी जारी है
अली ख़ामेनेई का भाषण युद्ध विराम के बाद का पहला बड़ा संदेश था — और इसमें उन्होंने साफ कर दिया कि ईरान खुद को विजयी मानता है, और अमेरिका व इसराइल को हारते हुए देखता है।
यह सिर्फ एक भाषण नहीं, एक पॉलिटिकल परफॉर्मेंस था — पूरी दुनिया के लिए प्रसारित।
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